बिहार में एक साल बाद भी नहीं हो सकी औद्योगिक नीति की समीक्षा, उद्यमी कर रहे सरकार का विरोध

2016 में बनी बिहार औद्योगिक नीति की समीक्षा की बात राज्य सरकार एक साल पहले से कर रही है, किन्तु अब तक समीक्षा नहीं हो पायी है. समीक्षा को लेकर लेकर औद्योगिक संगठन और विपक्ष, राज्य की नितीश कुमार सरकार पर सवाल खड़े कर रहे हैं, तो वहीं राज्य सरकार का कहना है कि नीति में बदलाव की तैयारी कर ली गई है, जल्द ही इसे मंत्रिमंडल से पास करवाकर अमली जामा पहनाया जायेगा.

बिहार में निवेश के मुद्दे पर सरकार हमेशा से घिरी रहती है. जो छोटे उद्योग लगे हैं, उनको लेकर भी उद्यमी निरंतर सरकार से शिकायत करते रहे हैं. 2016 में नई उद्योग नीति बनी, तो उद्यमियों की तरफ से इसका विरोध किया गया. कहा गया कि यदि सरकार 2011 की पॉलिसी को बेहतर नहीं कर सकती है, तो पुरानी निति को ही लागू रहने दिया जाये. सरकार ने नयी नीति को लागू कर दिया, जिसके बाद से उद्यमी नीति में परिवर्तन करने की मांग उठने लगी.

वहीं इसके बाद सरकार ने 2018 में उद्योग नीति की समीक्षा करने की बात कही, किन्तु 2019 भी अब अंतिम चरण में है, किन्तु अब भी उद्योग नीति की समीक्षा का काम पूरा नहीं हो पाया है. नई उद्योग नीति लागू होने के बाद भी बिहार में 14 हजार करोड़ से अधिक के निवेश के प्रस्ताव मिले हैं. इसमें छोटे और मझोले उद्योग अधिक हैं, किन्तु  उद्यमी अपनी मांगों पर कायम हैं.

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