सीमांत अर्थात मांग में सिन्दूर लगाना सुहागिनों स्त्रियों का सूचक है हिन्दुओं में विवाहित स्त्रियाँ ही सिन्दूर लगाती है कुंवारी कन्याओं एवं विधवा स्त्रियों के लिए सिन्दूर लगाना वर्जित है इसके अलावा सिन्दूर लगाने से स्त्रियों के सौंदर्य में निखार आता है |
अर्थात उनकी सुन्दरता बढ़ जाती है विवाह-संस्कार के समय वर (दूल्हा ) ,वधू (दुल्हन ) के मस्तक में मंत्रोच्चारण के मध्य पांच अथवा सात बार चुटकी से सिन्दूर डालता है तत्पश्चात विवाह कार्य संपन्न हो जाता है उस दिन से वह स्त्री अपने पति की दीर्घायु (लम्बी आयु ) के लिए प्रतिदिन सिन्दूर लगाती है मांग में दमकता सिन्दूर स्त्रियों के श्रृंगार का प्रमुख अंग है |
ब्रह्मग्रन्थ और अध्मि नामक मर्मस्थान के ठीक ऊपर स्त्रियाँ सिन्दूर लगाती हैं जिसे सामान्य भाषा में सीमांत अथवा मांग कहते हैं पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों का यह भाग अपेक्षाकृत कोमल होता है चूँकि सिन्दूर में पारा जैसी धातु अत्यधिक मात्रा में पायी जाती है जो स्त्रियों के शरीर की विधुती ऊर्जा को नियंत्रित करती है तथा मर्मस्थल को बाहरी दुष्प्रभाव से बचाता भी है अतः वैज्ञानिक दृष्टि से भी स्त्रियों को सिन्दूर लगाना आवश्यक है |