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हैदराबाद दुष्कर्म मामले के बाद पूरे देश में महिला सुरक्षा पर चिंता का माहौल बना हुआ है। पूरा देश सरकार से महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सख्त कानून की मांग कर रहा है। जगह-जगह विरोध प्रर्दशन किए जा रहे हैं। दुष्कर्म करने वाले सभी दरिंदो को फांसी की सजा सुनाए जाने की अपील की जा रही है। सरकार लोगों की मांग पर क्या कदम उठाती है, ये तो वक्त बताएगा।
लेकिन फिलहाल हम आपको उस फांसी के फंदे के बारे में बताते हैं जिसके जरिए दरिंदों को उनके अंजाम तक पहुंचाया जाता है। कहां और कैसे तैयार होता है फांसी का फंदा? कौन बनाता है ये फंदा? फांसी के फंदे से जुड़ी पूरी जानकारी आगे की स्लाइड्स में पढ़ें।
कहां बनता है फांसी का फंदा
- आपको जानकर हैरानी होगी कि पूरे देश में फांसी देने के लिए रस्सी केवल बिहार के बक्सर सेंट्रल जेल में ही तैयार की जाती है।
- फांसी के लिए मनीला रस्सी का इस्तेमाल किया जाता है।
- यह व्यवस्था अंग्रेजों के समय से चलती आ रही है।
कैसे तैयार होता है फांसी का फंदा
- मनीला रस्सी तैयार करने के लिए 172 धागों को मशीन में पिरोकर घिसाई की जाती है।
- मजबूत धागा बनाने के लिए जे-34 किस्म की रुई का इस्तेमाल किया जाता है।
- आठ लच्छी को रातभर नमी में ओस में मुलायम होने के लिए छोड़ा जाता है। इस प्रक्रिया से रस्सी की मजबूती बढ़ जाती है।
- इसके बाद तीन रस्सी को एक मशीन में घुमाकर मोटी रस्सी बनाई जाती है।
रस्सी का नाम मनीला ही क्यों?
कितना लंबा होता है फांसी का फंदा
- एक फांसी का फंदा तैयार करने के लिए 20 फीट लंबी रस्सी बनाई जाती है।
- बक्सर से पहले फांसी की रस्सी फिलीपिंस की राजधानी मनीला में बनाई जाती थी। इसलिए इसका नाम मनीला रस्सी रखा गया है।
- इसमें एक-एक कर 18 धागे तैयार किए जाते हैं। सभी को मोम में पूरी तरह भिगो दिया जाता है। इसके बाद धागों को मिलाकर मोटी रस्सी तैयार की जाती है।
कौन तैयार करता है ये फंदा
- अंग्रेजों के समय से ही बक्सर जेल में कैदी मौत का फंदा तैयार करते आ रहे है।
- बक्सर जेल में सजा काट रहे कैदियों को प्रशिक्षण के तौर पर फांसी का फंदा तैयार करने का काम मिलता है।
- फिर पुराने कैदी नए कैदियों को यह प्रशिक्षण देते हैं।
सूर्योदय से पहले क्यों दी जाती है फांसी
ज्यादातर लोगों को इस बात की जानकारी नहीं होती कि फांसी हमेशा सूर्योदय से पहले ही क्यों दी जाती है। इसके पीछे कोई बड़ा या रोचक कारण नहीं है। ऐसा केवल इसलिए किया जाता है ताकि इससे जेल के बाकी का काम बाधित न हो।