धोनी के ग्लव्स पर छिड़े विवाद के बीच जानें क्या कहते हैं ICC के नियम
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नई दिल्ली: विश्व कप में भारत बनान साउथ अफ्रीका मैच में पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने बलिदान बैज के निशान वाले विकेट कीपिंग ग्लव्स पहन कर कीपिंग की. तभी से यह मसला सोशल मीडिया और मीडिया पर छाया हुआ है. धोनी के समर्थन में आवाज उठाने वाले, जिनमें बीसीसीआई भी शामिल है वो तर्क कर रहे हैं कि आईसीसी के नियम के मुताबिक यह कोई भी विवाद ही नहीं है. ऐसे में हमनें जानने की कोशिश की कि आखिर नियम क्या कहते हैं.
आउट फिट और खेल सामग्री (इक्विपमेंट) के लिए आईसीसी के तय नियम हैं. इनमें क्लॉथिंग एंड इक्विपमेंट रूल्स एंड रेग्यूलेशन के नियम जी 1 के मुताबिक “खिलाड़ी या टीम का अधिकारी आर्म बैंड, कपड़े या किसी अन्य इक्विपमेंट के जरिए कोई व्यक्तिगत संदेश तब तक नहीं दे सकता, जब तक इन्हें प्रदर्शित करने की अनुमति न ली गई हो.”
इस नियम में आगे है कि “राजनीतिक, धार्मिक या रंगभेदी चीजों को दर्शाने वाले संदेशों को मंजूरी नहीं दी जाएगी.” इस नियम को आपने आज कल इस मसले पर छिड़ी बहसों में जरूर सुना होगा. लेकिन इसके अलावा एक और नियम है जिसमें खेल सामग्री, खासकर विकेट कीपिंग ग्लव्स से जुड़े नियम भी हैं. जिसे ज्यादातर लोग नजरअंदाज कर रहे हैं.
आईसीसी के इस नियम के मुताबिक कीपिंग ग्लव्स के पिछली तरफ दो जगहों पर ही लोगो लगाया जा सकता है. वो भी ग्लव्स के मैन्यूफैक्चरर का. इन दोनों ही जगहों पर लगाए जाने वाले लोगो का साइज कितना होगा इसका भी जिक्र नियम में किया गया है. इस नियम में ये साफ लिखा है कि मैन्यूफैक्चरर के लोगो के अलावा कोई भी अन्य चिन्ह या चित्र ग्लव्स पर नहीं होना चाहिए.
अब धोनी के मसले पर ध्यान दें तो धोनी जो ग्लव्स पहन कर कीपिंग करते हैं उसका मैन्यूफैक्चरर है एसजी. धोनी के ग्लव्स पर एसजी का लोगो भी बना है साथ ही पैरा फोर्सेस का बलिदान बैच भी बना है. जो कि मैन्यूफैक्चरर नहीं है. यह नियम आपको कम ही सुनाई या दिखाई दिया होगा. हालांकि यह मसला अब आईसीसी के सामने पहुंच गया है. बीसीसीआई भी धोनी के समर्थन में हैं.
अब आगे इस मामले में क्या होगा इसकी भविष्यवाणी नहीं की जा सकती. बहरहाल इंतजार किया जा सकता है 9 जून का जब भारत, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ओवल में उतरेगा. तब कैप्टन कूल खुद साफ कर देंगे कि वह ग्लव्स पर यह बलिदान बैज लगा कर उतरेंगे या हटा कर.
आउट फिट और खेल सामग्री (इक्विपमेंट) के लिए आईसीसी के तय नियम हैं. इनमें क्लॉथिंग एंड इक्विपमेंट रूल्स एंड रेग्यूलेशन के नियम जी 1 के मुताबिक “खिलाड़ी या टीम का अधिकारी आर्म बैंड, कपड़े या किसी अन्य इक्विपमेंट के जरिए कोई व्यक्तिगत संदेश तब तक नहीं दे सकता, जब तक इन्हें प्रदर्शित करने की अनुमति न ली गई हो.”
इस नियम में आगे है कि “राजनीतिक, धार्मिक या रंगभेदी चीजों को दर्शाने वाले संदेशों को मंजूरी नहीं दी जाएगी.” इस नियम को आपने आज कल इस मसले पर छिड़ी बहसों में जरूर सुना होगा. लेकिन इसके अलावा एक और नियम है जिसमें खेल सामग्री, खासकर विकेट कीपिंग ग्लव्स से जुड़े नियम भी हैं. जिसे ज्यादातर लोग नजरअंदाज कर रहे हैं.
आईसीसी के इस नियम के मुताबिक कीपिंग ग्लव्स के पिछली तरफ दो जगहों पर ही लोगो लगाया जा सकता है. वो भी ग्लव्स के मैन्यूफैक्चरर का. इन दोनों ही जगहों पर लगाए जाने वाले लोगो का साइज कितना होगा इसका भी जिक्र नियम में किया गया है. इस नियम में ये साफ लिखा है कि मैन्यूफैक्चरर के लोगो के अलावा कोई भी अन्य चिन्ह या चित्र ग्लव्स पर नहीं होना चाहिए.
अब धोनी के मसले पर ध्यान दें तो धोनी जो ग्लव्स पहन कर कीपिंग करते हैं उसका मैन्यूफैक्चरर है एसजी. धोनी के ग्लव्स पर एसजी का लोगो भी बना है साथ ही पैरा फोर्सेस का बलिदान बैच भी बना है. जो कि मैन्यूफैक्चरर नहीं है. यह नियम आपको कम ही सुनाई या दिखाई दिया होगा. हालांकि यह मसला अब आईसीसी के सामने पहुंच गया है. बीसीसीआई भी धोनी के समर्थन में हैं.
अब आगे इस मामले में क्या होगा इसकी भविष्यवाणी नहीं की जा सकती. बहरहाल इंतजार किया जा सकता है 9 जून का जब भारत, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ओवल में उतरेगा. तब कैप्टन कूल खुद साफ कर देंगे कि वह ग्लव्स पर यह बलिदान बैज लगा कर उतरेंगे या हटा कर.