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विवाह-प्रथा की शुरुआत कैसे हुई ?

maalaxmi by maalaxmi
December 31, 2017
in अजब-गजब, वास्तु ज्ञान
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पृथ्वी पर विवाह की प्रथा शुरू नहीं हुई थी. समाज के नीति और नियम बनाए नहीं गए थे. तब पुरुष और स्त्री इच्छा अनुसार विचरण करते थे. स्त्री को सिर्फ भोग के वस्तु माना जता था. उस समय उद्दालक नाम के एक ऋषि हुए. उनके पुत्र का नाम श्वेतकेतु था.

श्वेतकेतु को समाज सुधारक मान जाता है. उन्हों ने समाज के भलाई के लिए जो नियम बनाए उसका आज भी पालन होता है. समाज में सुधार के लिए उस समय उनका बहुत विरोध किया गया. पुराणोंमें ऐसा उल्लेख है कि अपने उग्र स्वभाव के कारण उनके पिता ने उन्हें घर से निकाल दिया था.

एक दिन उनके पिता के आश्रम में कुछ लोग आए थे. जो आश्रम की स्त्रीयों को उठाकर ले गए. तब श्वेतकेतु एक बालक थे. उन्होंने अपने पिता से पूछा यह लोग क्यों इन स्त्रियों को उठाकर ले गए. तब उसके पिता ने बताया कि ऐसा ही होता आया है. स्त्री को भोग की चीज ही समझा जाता है. जो उसका जबरदस्ती हरण कर जाता है वहीँ उसका स्वामी हो जाता है.

अपने पिता कि बात सुनकर श्वेतकेतु को दुःख हुआ और श्वेतकेतु ने उस दिन यह नियम बना दिया कि अबसे पुरुष को स्त्री से विवाह करना पडेगा. जो स्त्री पतिव्रत धर्म का पालन नहीं करेगी और जो पुरुष परस्त्रीगमन करेगा वह भृण हत्या के दोषी मान जाएंगे. उनको शास्त्र में जो भृण हत्या का दंड है वह भोगना पड़ेगा.

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