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वजन बढ़ने की फिक्र किए बिना भी अब आइसक्रीम का मजा लिया जा सकेगा। भारतीय वैज्ञानिकों ने कम वसा युक्त आइसक्रीम विकसित की है, जो सेहत के लिए अधिक चिंतित रहने वाले लोगों को भी अपनी ओर आकर्षित कर सकती है। मैसूर स्थित सीएसआईआर-केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई यह एक सिन्बायोटिक आइसक्रीम है, जिसे प्रीबायोटिक तत्व बीटा-मैनो-ओलिगोसैकेराइड्स (बीटा-मॉस) और लैक्टोबैसिलस प्रजाति के प्रोबायोटिक सूक्ष्मजीवों को मिलाकर तैयार किया गया है।
बीटा-मॉस पौधों से प्राप्त एक प्रकार का फाइबर है, जिसे आइसक्रीम में प्रीबायोटिक तत्व के रूप में उपयोग किया गया है। जबकि, लैक्टोबैसिलस प्लैंटेरम और लैक्टोबैसिलस फर्मेंटम प्रजाति के सूक्ष्मजीवों को प्रोबायोटिक के रूप में इस आइसक्रीम में उपयोग किया गया है। खाद्य पदार्थों में पाए जाने वाले फाइबर प्रीबायोटिक तत्व के रूप में कार्य करते हैं। प्रीबायोटिक और प्रोबायोटिक तत्वों को मिलाकर विकसित पूरक आहार को सिन्बायोटिक कहते हैं। इस प्रकार का आहार शरीर में पाए जाने वाले लाभकारी सूक्ष्मजीवों को बढ़ावा देकर सेहत को बेहतर बनाए रखने में मदद करता है।