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हमेशा खुश रहना है तो बच्चो को दे ऐसी परवरिश।

maalaxmi by maalaxmi
February 24, 2018
in लाइफ स्टाइल
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हाल ही में हुए एक शोध में पाया गया है कि सिंगल माँ के बच्चे मानसिक बीमारियों या पढ़ाई-लिखाई में पिछड़ेपन के शिकार ज्यादा होते हैं। इसकी वजह है ऎसे बच्चों को सपोर्ट की कमी, सामाजिक पूर्वाग्रह और आर्थिक अस्थिरता। एक सिंगल माँ का कुछ इन बातों पर ध्यान देना बहुत जरूरी है।

1. बच्चों को स्थिति से निपटना सिखाएं:-


एकल माँ ज्यादायर लोगों के क्रूर और अनचाहे सवालों से अपने बच्चो को बचाने में खुद को असहाय समझती हैं। दूसरे बच्चे जब पूछते हैं कि तुम्हारे पिता कहां हैं या तुम्हारे पापा तुम्हारे साथ क्यों नहीं रहते तो सिंगल माँ के बच्चे असहज हो उठते हैं। ऎसे में सिंगल माँ यदि शुरू से बच्चों को कहानी-किस्सों या उदाहरण के माध्यम से सारी स्थिति को साफ़ कर दें और उन्हें ऎसे सवालों का जवाब देना सिखा दें तो बच्चा खुद को कॉन्फिडेंट महसूस करने लगता है। बच्चे को सिखाएं कि ऎसे सवालों का जवाब कुछ इस तरह दें, हां! मेरे पापा हमारे साथ नहीं, लेकिन मेरी मां, मौसी, नानी, मामा आदि हमेशा मेरे साथ ही रहते हैं।

2. हमेशा खुश रहें:-


गुजरा हुआ समय वापस नहीं आता। जो हुआ, सो हो चुका इसलिए पुरानी बातें याद करके मन में कड़वाहट न लाएं, न ही बच्चे के सामने उन बातों को दोहराकर घर का वातावरण खराब करें। वर्तमान को स्वीकार कर हर हाल में खुश और मस्त रहें। इससे हर हाल में आपके बच्चे भी खुश रहेंगे और आप भी।

3. परफेक्शनिस्ट न बनें:-


कई बार एकल माँ खुद पर जरूरत से ज्यादा जिम्मेदारी का बोझ ओढ़ लेती हैं और अपनी संतान को परफेक्ट बनाने के फेर में चिड़चिड़े स्वभाव की हो जाती हैं। वे अपने बच्चे की छोटी-सी कमी या गलती को बहुत गंभीरता से लेने लगती हैं और बात-बात में बच्चे को टोकने और डाटने लगती है। ऎसे व्यवहार से बच्चे और मां में धीरे-धीरे दूरियां बढ़ने लगती हैं। बच्चा जिद्दी हो जाता है और मां के चिड़चिड़ेपन से गुस्सा होकर उससे झगड़ा भी करने लगता है।

4. संबंध मजबूत रखें:-


माना कि आपके बच्चे के सिर पर पिता का साया नहीं है, लेकिन उनके साथ-साथ दूसरे संबंध तो खत्म नहीं हो गए। अपने परिजनों, ससुराल पक्ष या पीहर पक्ष से संबंध मृदु और सुदृढ़ रखें, ताकि आपके बच्चे को दादा-दादी या नाना-नानी, चाचा-चाची एवं अन्य बच्चों का साथ मिल सके और वह उनका मार्गदर्शन एवं साथ पाकर पारिवारिक वातावरण में पल-बढ़कर एक अच्छा इंसान बन सके। समय-समय पर अपने मित्रों, परिजनों या सोसाइटी के साथ बच्चे को फिल्म दिखाने, पिकनिक पर या घुमाने-फिराने भी ले जाएं और उसका जन्मदिन आदि भी धूमधाम से बनाएं, जिससे आपका बच्चा अकेलापन महसूस न करे।

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