पिता है इलेक्ट्रीशियन, खुद के पास अपना घर तक नहीं, संघर्षों से भरी रही है तिलक वर्मा की कहानी, IPL ने बनाया करोड़पति

आप को बता दें कि आईपीएल… ये क्रिकेट का वो टूर्नामेंट है, जो टैलटेंड प्लेयर्स को चमकने का मौका देता है। ऐसे कई युवा खिलाड़ी रहे हैं, जिनकी प्रतिभा इस घरेलू टूर्नामेंट के जरिए ही दुनिया के सामने आई। आईपीएल कई खिलाड़ियों को अपने सपनों की मंजिल तक पहुंचने में मदद करता है।
इस बार IPL में एक ऐसे खिलाड़ी को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिला है जो घरेलू टूर्नामेंट में अपनी बल्लेबाजी का जौहर दिखा चुका है। एन तिलक वर्मा को IPL मेगा ऑक्शन 2022 में मुंबई की टीम ने खरीदा।
तिलक वर्मा के पिता एक इलेक्ट्रीशियन हैं। उनके पास अपना घर भी नहीं हैं। बड़ी मुश्किल से घर का गुजारा हो पाता है। हालांकि IPL मेगा ऑक्शन में मुंबई इंडियंस ने इस खिलाड़ी पर दांव लगाकर इस खिलाड़ी करोड़पति बना दिया। एक करोड़ 70 लाख में तिलक वर्मा मुंबई इंडियंस की टीम से जुड़े।
माता पिता के लिए घर खरीदना चाहते हैं तिलक
बता दें कि तिलक वर्मा की यहां तक पहुंचने की कहानी काफी संघर्ष भरी रही है। उन्होंने अपनी जिंदगी में आर्थिक संकटों का सामना किया। हालांकि उनके पिता ने इन मुश्किलों को तिलक के क्रिकेटर बनने के सपने में रोड़ा नहीं बनने दिया।
तिलक और उनके भाई का सपना पूरा करने के लिए उन्होंने अपनी इच्छाओं का त्याग किया। हालांकि आईपीएल में करोड़पति बनने के बाद अब तिलक अपने परिवार के लिए घर बनाना चाहते हैं।
तिलक वर्मा ने हाल ही में एक इंटरव्यू दिया, जिसमें उन्होंने किया कि अपनी इस संघर्ष भरी कहानी को साझा किया। तिलक वर्मा ने बताया कि उनके पिता इलेक्ट्रीशियन हैं। वो जो कमाते हैं, उससे घर खर्च बहुत मुश्किल से चलता था। बड़ा भाई पढ़ाई में आगे बढ़ना चाहता था और मुझे क्रिकेटर बनना था। हम दोनों के पिता ने कई त्याग किए।
कोच ने की उनकी काफी मदद
एन तिलक वर्मा ने बताया कि जब 2007 में महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया वर्ल्ड कप जीती थीं, तब ही उनका भी मन इस खेल की तरफ बढ़ा और उन्होंने क्रिकेटर बनने की ठानी। हालांकि उनके लिए ये रास्ता बिल्कुल भी आसान नहीं था।
तिलक ने बताया कि उनके पास खुद की किट तक नहीं थी। हालांकि इस सफर में कोच सलाम बायश ने उनकी काफी मदद की। वो दूसरों से बैट, पैड, ग्लव्स लेकर देते थे। उन्होंने आगे कहा कि चार साल पहले जब उन्होंने सीनियर कैटेगरी में रणजी खेलना शुरू किया, तब मैच फीस से उन्होंने पहली बार अपने लिए बैट खरीदा था।