पिता थे मैकनिक, बचपन में रोटी के टुकडे के लिए थे मोहताज, फिर बन गए रातोंरात स्टार, जानिए विवादों से पुराना नाना रखने वाले विनोद कांबली की कहानी!!

पिता थे मैकनिक, बचपन में रोटी के टुकडे के लिए थे मोहताज, फिर बन गए रातोंरात स्टार, जानिए विवादों से पुराना नाना रखने वाले विनोद कांबली की कहानी!!

आप तो जानते ही होंगे कि विनोद कांबली भारतीय क्रिकेट में एक ऐसा नाम रहा है, जो कि हमेंशा से सुर्खियों में बने रहे। कभी क्रिकेट रिकॉर्ड्स के लिए, कभी फिल्मों और राजनीति में एंट्री के लिए तो कभी सचिन तेंदुलकर की दोस्ती या उनके साथ रिकॉर्ड साझेदारी के लिए।

इतने कुछ के बाद भी विनोद कांबली आज उस मुकाम तक नहीं पहुंच पाए, जहां वे पहुंचना चाहते थे। तो आइए आज हम इस आर्टिकल में विनोद कांबली के जीवन के बारे में आप को विस्तार से बताते है।

 

आप को बता दें कि कांबली का जन्म 18 जनवरी 1972 को मुंबई के कंजुरमार्ग स्थित इंदिरा नगर में हुआ था। उनके पिता गणपत कांबली एक मेकैनिक हुआ करते थे और बहुत मुश्किल से 7 लोगों के परिवार का पालन-पोषण करते थे।

ऐसे में विनोद कांबली का क्रिकेट करियर छोटा, लेकिन दमदार और रिकॉर्ड्स से भरा रहा। सचिन के बचपन के दोस्त कांबली ने मुंबई की मशहूर कांगा लीग में उनके साथ ही डेब्यू किया था।

 

इसी दौरान उन्होंने सचिन के साथ मिलकर स्कूल क्रिकेट में विश्व कीर्तिमान बना डाला। दोनों ने मिलकर शारदाश्रम स्कूल की तरफ से खेलते हुए सेंट जेवियर के खिलाफ 664 रनों की साझेदारी की।

इस मैच में विनोद कांबली ने नाबाद रहते हुए 349 रन बनाए थे। इस रिकॉर्ड साझेदारी के बाद दोनों चर्चा में आए। इसके बाद तेंदुलकर ने 1988 में रणजी में डेब्यू किया, जबकि कांबली को एक साल बाद 1989 में यह मौका मिला।

 

कांबली के सीनियर क्रिकेट क्लब में एंट्री का अलग ही किस्सा है जो काफी मशहूर है। इसके मुताबिक उनके पिता गणपत उन्हें एक सीनियर क्लब के सचिव के पास ले गए थे।

वहां अधिकारी ने विनोद को देखकर कहा कि ‘तेज गेंदबाज इसकी जान ले लेंगे। मैं इस बच्चे को हमारे साथ खेलाने का रिस्क नहीं ले सकता।’ यह कहकर वहां के सचिव ने कांबली को अपने साथ जोड़ने से इनकार कर दिया।

 

इसके बाद एक दिन कांबली अपने दोस्त सचिन का मैच देखने शिवाजी पार्क पहुंचे। सचिन कांगा लीग की एफ डिविजन टीम, ‘जॉन ब्राइट क्लब’ की ओर से खेल रहे थे।

इत्तेफाक से उस टीम की प्लेइंग इलेवन के लिए एक खिलाड़ी की कमी हो रही थी। तब कोच ने कांबली से बात कर उन्हें अपनी एकादश में शामिल कर लिया।

 

घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन के बाद कांबली को टीम इंडिया में खेलने का मौका मिला। पहले सात टेस्ट मैच में उनके नाम चार शतक थे।

वह टेस्ट मैचों में सबसे तेज एक हजार रन बनाने वाले बल्लेबाज हैं, लेकिन प्रतिभा का धनी यह क्रिकेटर अर्श से फर्श पर पहुंच गया। जल्द ही वह टीम से ड्रॉप हुए फिर कभी दमदार वापसी नहीं कर पाए। 17 टेस्ट में 1084 रन और 104 वन-डे में 2477 रन बनाए।

navneet