नीरज चोपडा को बचपन में लोग मोटा-मोटा कहकर उडाते थे मजाक, मोटापे के कारण परेशान थे घरवाले, जानें उनकी पढाई से लेकर ओलिंपिक तक की कहानी!!

आप को बता दें कि साल 2021 में टोक्यो ओलंपिक में भारत के लिए एथलीट में पहली बार गोल्ड मेडल जीतकर नीरज चोपड़ा ने इतिहास रच दिया था। देश जिस एथलीट मेडल के लिए 121 साल से सपने देख रहा था, उसको नीरज कुमार ने जेवलिन में अपने भाले के दम पर हकीकत में बदल दिया था।
ओलंपिक में जाने से पहले ही देश को अपने इस खिलाड़ी से मेडल की बहुत उम्मीदें थी, इन्होंने देश को निराश भी नहीं किया और ओलंपिक समापन के एक दिन पहले देश को गोल्ड मेडल दिया था।
इस तरह हासिल की एज्यूकेशन
बता दें कि नीरज चोपड़ा का जन्म हरियाणा के उस जिले पानीपत में हुआ है, जो अपनी तीन लड़ाईयों के लिए मशहूर है। यहां के एक छोटे से गांव खांद्रा में किसान के घर पर 24 दिसंबर 1997 को नीरज का जन्म हुआ।
नीरज ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई पानीपत से ही की। अपनी प्रारंभिक पढ़ाई को पूरा करने के बाद नीरज चोपड़ा ने चंडीगढ़ में एक बीबीए कॉलेज ज्वाइन किया था और वहीं से उन्होंने ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की थी।
बचपन में थे मोटे, इसलिए शुरू किया स्टेडियम जाना
आप को बता दें कि नीरज अपने बचपन में काफी मोटे थे, जिसके कारण गांव के दूसरे बच्चे उनका मजाक बनाते थे, उनके मोटापे से उनके परिवार वाले भी परेशान थे, इसलिए उनके चाचा उन्हें 13 साल की उम्र से दौड़ लगाने के लिए स्टेडियम ले जाने लगे। लेकिन इसके बाद भी उनका मन दौड़ में नहीं लगता था।
स्टेडियम जाने के दौरान उन्होंने वहां पर दूसरे खिलाड़ियों को भाला फेंकते देखा, तो इसमें वो भी उतर गए। वहां से उन्होंने जो भाला फेंकना शुरू किया, वह अब ओलंपिक गोल्उ पर जाकर लगा है।
साल 2016 में बने थे आर्मी के नायब सुबेदार
पढ़ाई के साथ वे जेवलिन में भी अभ्यास करते रहे, इस दौरान उन्होंने नेशनल स्तर पर कई मेडल अपने नाम किए। नीरज ने 2016 में पोलैंड में हुए आईएएएफ वर्ल्ड यू-20 चैम्पियनशिप में 86.48 मीटर दूर भाला फेंककर गोल्ड जीता।
जिससे खुश होकर आर्मी ने उन्हें राजपुताना रेजिमेंड में बतौर जूनियर कमिशन्ड ऑफिसर के तौर पर नायब सुबेदार के पद पर नियुक्त किया। आर्मी में खिलाड़ियों को ऑफिसर के तौर पर कम ही नियुक्ति मिलती है, लेकिन नीरज को उनके प्रतिभा के कारण डारेक्ट ऑफिसर बना दिया गया।
आर्मी में जॉब मिलने से खुश नीरज ने एक इंटरव्यू में कहा था कि, मेरे परिवार में आज तक किसी को सरकारी नौकरी नहीं मिली है, मैं अपने संयुक्त परिवार का पहला सदस्य हूं जो सरकारी नौकरी करने जा रहा हूं, यह हमारे परिवार के लिए बहुत खुशी की बात है। इससे मैं अपनी ट्रेनिंग जारी रखने के साथ-साथ अपने परिवार की आर्थिक मदद भी कर सकता हूं।