ऐसे ही नहीं कहा जाता है सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट का भगवान, महज 16 साल की उम्र में शुरु किया था इंटरनेशनल क्रिकेट खेलना…जानें कैसा रहा सफर….!!

ऐसे ही नहीं कहा जाता है सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट का भगवान, महज 16 साल की उम्र में शुरु किया था इंटरनेशनल क्रिकेट खेलना…जानें कैसा रहा सफर….!!

आप तो जानते ही होंगे कि सचिन तेंदुलकर भारत के महान बल्लेबाज है। उनकी जगह विश्व क्रिकेट में कोई नहीं ले सकता। सचिन तेंदुलकर ने अपनी बल्लेबाजी से भारत का नाम कई बार रोशन किया है।

क्रिकेट की दुनिया में सचिन को क्रिकेट का भगवान भी कहा जाता है। इसी से आप सोच सकते होंगे कि क्रिकेट की दुनिया में सचिन तेंदुलकर की कितनी अहमियत होंगी। भारत के सर्चोच्च सम्मान में से एक भारत रत्न से सचिन तेंदुलकर को नवाजा गया है।

 

सचिन को देखने वाले लोग आज भी उनकी प्रदर्शनी को भूल नहीं पाते है। ये आज कामयाबी की टोच पर बैठे है। तो आइए जानते है आखिर सचिन तेंदुलकर की सफलता का मंत्र क्या है।

आप तो जानते ही होंगे कि एक 16 साल के लडके ने अपनी बल्लेबाजी से कमाल करके दिखाया। ये उम्र थी जब वे 15 नवंबर 1989 को अपनी जिंदगी में पहली बार पाकिस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने मैदान में उतरे थे।

 

टेस्ट क्रिकेट का वो मैच पाकिस्तान के कराची का नेशनल स्टेडियम में खेला जा रहा था। सचिन ने उस मैच में 24 गेंदो का सामना किया था, जिसमें वे 15 रन बनाकर वकार यूनुस की गेंद पर क्लीन बोल्ड हो गए थे।

आप को क्या लगता है कि उस वक्त किसी ने सोचा भी होगा कि यही 16 साल का बच्चा आने वाले दिनों में क्रिकेट का सबसे महान खिलाडी बनेगा? भारत की शान, दुनिया भर के खिलाडीयों की जान और जिसे क्रिकेट का भगवना कहा जाएगा, क्या ये मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर बन जाएगा?

 

सचिन ने क्रिकेट के आसमना को अपनी तरफ झुका लिया। उन्होंने अपने खेल से हर किसी को दीवाना बनाया। सचिन तेंदुलकर की सिर्फ एक या दो कहानियां ऐसी नहीं, बल्कि ढेरों कहानियां है, जिन्हें पूरी दुनिया पढने और सुनने में दिलचस्पी दिखाती है।

आप को बता दें कि सचिन सपनों के शहर मुंबई में पैदा हुए और यहीं पले बढए। मुंबई में उन्होंने बल्ला थामा औऱ चौके-छक्के जडकर पूरे वानखेडे को अपना दीवाना बना लिया।

 

लेकिन क्या आप जानते है कि सचिन तेंदुलकर वडापाव बेहद पसंद है। खासतौर पर उन्हें मुंबई का दादर का वडापाव बेहद पसंद है।

सचिन तेंदुलकर जब भी शिवाजी पार्क के बाहर क्रिकेट प्रैक्टिस करने आते थे, तब वे वडापाव के दीवाने हो जाते थे। कहा जाता है कि कई वडापावों में से दादा की दुकान में बने वडापाव को सचिन तेंदुलकर पहचान लेते थे।

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