बच्चों के सबसे चहेते टीचर कभी सब कुछ हार बैठे थे गंगा नदी के किनारे, खान सर ने खुद बताया अपनी कहानी

बच्चों के सबसे चहेते टीचर कभी सब कुछ हार बैठे थे गंगा नदी के किनारे, खान सर ने खुद बताया अपनी कहानी

नई दिल्ली, 06 सितंबर: सोशल मीडिया और यू-ट्यूब खान सर आजा जाना-माना नाम है। पटना वाले खान सर के महज 3 सालों में यू-ट्यूब चैनल पर 17 मिलियन से अधिक फॉलोअर्स हैं। हाल ही में बिजनेस मैन और वक्ता संदीप माहेश्वरी ने खान सर के साथ बातचीत की, जिसका वीडियो उन्होंने अपने अधिकारिक यू-ट्यूब चैनल पर 05 सितंबर को डाला है। संदीप माहेश्वरी देश के शायद पहले ऐसे यूट्यूबर भी हैं, जिन्होंने अपना चैनल मोनटाइज नहीं किया है, यानी वो अपने यू-ट्यूब से एक रुपये भी नहीं कमाते हैं। संदीप माहेश्वरी और खान सर का ये वीडियो सिर्फ एक दिन में 4.1 मिलियन व्यूज हैं। इस बातचीत में खान सर ने अपने संघर्ष के दिनों से लेकर देश के सबसे चर्चित शिक्षक बनने तक के बारे में बताया है। छात्रों से मोटिवेशनल बातें भी की हैं। खान सर ने बताया कि लॉकडाउन में जब उन्होंने यू-ट्यूब शुरू किया तो सिर्फ 30 हजार सब्सक्राइबर थे और आज खान सर के चैनल पर मिलियन में सब्सक्राइबर हैं। आइए जानें उन्होंने क्या कहा?

खान सर ने कहा, हम बच्चे आते हैं,”उनको पढ़ाते हैं, मैं उनको बोलता हूं, दम है तो जो मैं पढ़ा रह हूं, उसको भूलकर के बताओ…।” फीस को लेकर खान सर ने कहा, ” सर ये जो फीस का कल्चर है, ये हमारा इंडियन कल्चर नहीं है। हमारा इंडियन कल्टर गुरुदक्षिणा है, उस हिसाब से मेरा फीस सही है। जैसे ऑक्सीन जिंदगी के जरूरी है, वैसे ही एजुकेशन जरूरी है, कोई ये नहीं कह सकता कि पैसों की वजह से वह खान सर की यहां से लौट गया।”

‘मुझे यू-ट्यूब के बारे में कुछ भी नहीं आता था…’

अपने यू-ट्यूब चैनल के बारे में बात करते हुए खान सर ने कहा, ”मैंने जब चैनल शुरू किया तो एक दिन 4-5 वीडियो डालता था। इतना तो मुझे आज भी नहीं आता है, इतना तो कैमरा वैगरह यहां देखकर मैं कंफ्यूज हो गया हूं। बाप रे…।

‘6 महीने लग गए, 35 हजार का कैमरा था…’

खान सर ने आगे कहा, ”मैं इसी तरह एक ही दिन में 6-7 वीडियो शूट करता था,…क्योंकि मेरे पास कैमरा था नहीं, कैमरा उस वक्त 35 हजार का था, तो मैं किसी से रेंट पर लेकर शूट करता था। फिर मैंने सोचा इसमें खर्च है, और मैंने छोड़ दिया। फिर लॉकडाउन लगा तो मैंने सोचा कैसे पढ़ाएंगे….एक दो दिन करते-करते वो अचानक लंबा हो गया। फिर मुझे याद आया कि मेरा एक चैनल भी है। उस वक्त तक उसपर 30 हजार सब्सक्राइबर हो चुके थे। इसलिए मैंने फिर वहां पढ़ाना चालू किया।”

‘पता नहीं लोगों को पढ़ाई में इतना क्यों इंटरेस्ट आ गया…’

खान सर ने कहा, ”लॉकडाउन में मैंने पढ़ाना शुरू किया, पता नहीं क्या हुआ, लोगों को पढ़ाई में इतना क्यों इंटरेस्ट आ गया… कि मेरा चैनल चल गया।” पढ़ाई के तरीकों पर खान सर बोले, ”देखिए जब हम गुलाम थे ना, तो अंग्रेजों ने एक चाल चला था। भारत को फिजिकल 100-200 साल गुलाम रखेंगे, मेटिंली हजारों साल रखेंगे। तो उन्होंने पढ़ाई का मॉडल चेंज कर दिया था। उन्होंने ऐसा बताया कि टीचर पढ़ाकर चला जाए, लेकिन टीचर की जिम्मेदारी है, समझाया। अगर आपके समझाने पर भी लड़का नहीं समझा तो आपकी गलती है। लड़का हमको बोलता है, सर आपके यहां इतनी भीड़ है कोई डाउट हो तो कैसे पूछेंगे, मैं बोलता हूं, कोई डाउट होता तब ना पूछेगा।”

टीचर नहीं फौजी बनना चाहते थे खान सर

खान सर ने कहा, ”हुई है कॉन्ट्रोवर्सी कई बार। असल में बचपन से हमको फौज में जाना था। फौज वालों के लिए ये सब मायने नहीं रखता है, उनको करना है मतलब करना, सामने तुम कुछ भी रहो, कोई फर्क नहीं पड़ता है।”

खान सर ने यह भी बताया कि जहां उनका कोचिंग सेंटर है, वहां कुछ बम भी गिरे थे। कुछ तो सॉलिड जगह गिरा था लेकिन फटा नहीं वो। बम मेरे आस-पास गिरा था लेकिन बम को भी पता है कि टीचर की इज्जत की जाती है।

‘शिक्षा एक ऐसा हथियार है, जो मेटल डिकेटर भी नहीं पकड़ पाता है…’

खान सर ने कहा, ” मैं फौजी नहीं, शिक्षक बन गया। मेरे हाथ में कलम वाला हथियार है। शिक्षा एक ऐसा हथियार है, जो हर चीज से लड़ सकता है। समाज की हर कुरितियों का सामना कर सकता है। शिक्षा तो एक ऐसा हथियार है, जिसको कोई पकड़ भी नहीं सकता, ये कोई मेटल डिकेटर में भी नहीं पकड़ता है…।”

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