पंकज त्रिपाठी के स्ट्रगल की कहानी, परिवार अभी भी रहता है छोटे से गांव में

पंकज त्रिपाठी का जन्म एक छोटे से गांव में 5 सितंबर को हुआ था। उनके पिताजी किसान हैं और बचपन में पंकज त्रिपाठी भी उनको किसानी में मदद करते थे। गांव में आधारभूत सुविधाएं न होने के कारण उन्हे पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ाई करनी पड़ी।
11वीं कक्षा से ही उन्होंने अपने गांव में होने वाले नाटक में भाग लेना शुरू कर दिया था और इसमें वह फीमेल का पात्र निभाते थे।इसिके चलते लोगो ने उन्हें फिल्मों में काम करने का सुझाव दिया।और इससे उनके मन में एक्टर बनने की जिज्ञासा प्रबल हुई पर उनके पिताजी चाहते थे की वह शहर जाकर डॉक्टरी की पढ़ाई पढ़े और डॉक्टर बने।
उन्होंने इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट में प्रवेश लिया। साथ ही वो थिएटर के संपर्क में भी आए और एक्टिंग की प्रैक्टिस शुरू करदी। खर्चा चलाने को उन्होंने होटल में दो साल कुक की जॉब की और उसके बाद उन्होंने दिल्ली, नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में एडमिशन लिया।
काम के लिए किया काफी संघर्ष
दिल्ली से 16 अक्टूबर 2004 को मुंबई पोहचने के बाद उन्हें इंडस्ट्री में जगह बनाने को काफी संघर्ष करना पड़ा। 2004 में आई रन फिल्म में उन्हें सबसे पहला रोल मिला पर रोल छोटा होने के कारण उनको इतनी पहचान नही मिली। फिर दूसरी बार मौका उन्हे 2012 में फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर में मिला जहां उनके काम को सरहना मिली और इसी के चलते वो अपनी एक्टिंग की राह पर तेजी से चल पड़े। जिसका एक उदाहरण उनकी वेब सीरीज मिर्जापुर की सक्सेस है। मिर्जापुर के कालीन भैया के रूप में या समझ लो क्रिमिनल जस्टिस के माधव मिश्रा, हर वेब सीरीज में उन्होंने अपनी एक्टिंग से सबका दिल जीता।
किसी समय में उन्हें कोई नही जानता था और आज वो किसी पहचान के मोहताज नही हैं हालांकि इसके लिए उन्हें काफी स्ट्रगल करना पड़ा।