विदाई से पहले थे वो आखिरी शब्द…जब सचिन तेंदुलकर के साथ रोया था पूरा देश!!

बता दें कि सचिन तेंदुलकर ने करीब 5 साल पहले क्रिकेट से संन्यास लिया था। जहां से उन्होंने अपने परिवार और घरेलू दर्शकों के बीच क्रिकेट खेलने की शुरुआत की थी। सचिन तेंदुलकर के खेल और उनके करियर की बातें हमेंशा से होती रहती है।
लेकिन आज हम इस आर्टिकल में उस फेयरवेल स्पीच के बारे में बताएंगे, जिसे सुनकर पूरी दुनिया की आंखे नम हो गई थी। जब सचिन आखिरी बार मैदान पर उतरे थे, तब उन्होंने पिच को झुककर सलाम किया और सचिन की विदाई में कहे एक-एक शब्द से क्रिकेट प्रेमी की आंखे नम हो गई। तो आइए इस स्पीच के बारे में जानते है।
सचिन तेंदुलकर ने माइक अपने हाथ में लेकर कहा, ‘दोस्तों, प्लीज बैठ जाइए, में और भावुक हो जाऊंगा। यहां पूरी जिंदगी मैंने बिताई है। ये सोचना मुश्किल है कि मेरे इस शानदार सफर का अंत हो रहा है। यूं तो मैं पढकर बोलना नहीं पसंद करता, लेकिन मैंने आज एक लिस्ट तैयार की है कि मुझे किन किन लोगों का धन्यवाद करना है।’
इस लिस्ट में सबसे पहला मेरे पिता का नाम आता है, जिनका निधन 1999 में हो गया था। उनकी सीख के बिना आज में आपके सामने खडा नहीं हो पाता। उन्होंने कहा था- अपने सपनों के पीछे भागो, राह मुश्किल होगी, लेकिन हार ना मानना। आज में उन्हें याद करता हूं। मेरी मां मुझे नहीं पता कि मेरे जैसे शेतान बच्चे को केसे संभाला। मैंने जब से क्रिकेट शुरु किया, तब से उन्होंने सिर्फ मेरे लिए प्रार्थना की।
स्कूल घर से दूर होने की वजह मैं चार साल तक अपने अंकल-आंटी के यहां रहा। उन्होंने मुझे अपने एक बेटे की तरह संभाला। मेरे बडे भाई नितिन ज्यादा बोलना पसंद नहीं करते। लेकिन उन्होंने कहा- मुझे पता है कि तुम जो भी करोगे उसमें 100 प्रतिशत दोगे। मेरा पहला बल्ला मेरी बहन सविता ने मुझे गिफ्ट किया था। जब बल्लेबाजी कर रहा होता हूं तो वो मेरे लिए व्रत रखती है।
मेरे भाई अजीत, उनके बारे में क्या कहूं। हमने इस सपने को साथ जिया था। उन्होंने मेरे लिए अपना करियर दांव पर लगा दिया। वो पहली बार मुझे मेरे कोच रमाकांत आचरेकर के पास ले गए। पिछली रात को भी मेरे विकेट को लेकर उन्होंने मुझसे फोन पर बात की। जब मैं नहीं खेल रहा हो तब हम खेलने की तकनीक पर बात करते है। अगर वो नहीं होते तो आज में क्रिकेटर ना होता।
सबसे खूबसुरत चीज ये भी है कि में 1990 में जब अंजलि से मिला। मुझे पता है कि एक डॉक्टर होने के नाते उसके सामने एक बडा करियर था, लेकिन उसने फैंसला किया कि में क्रिकेट खेलता रहूं और वो बच्चों और घर का ध्यान रखेंगी। धन्यवाद अंजलि, हर उस अजीब बातों के लिए जो मैंने की। मेरी जिंदगी के उतार-चढावों में भी मेरा साथ देने के लिए शुक्रिया।
मेरे जीवन के दो अनमोल हीरे, सारा (बेटी) और अर्जुन (बेटा। मैंने तुम लोगों के कई जन्मदिन और छुट्टियां मिस की हैं। मुझे पता है कि पिछले 14-16 सालों में मैं तुम लोगों को ज्यादा वक्त नहीं दे पाया, लेकिन वादा करता हूं कि अगले 16 साल जरूर तुम्हारे साथ रहूंगा हर पल।
मेरे ससुराल के लोग, मैंने उनके साथ काफी बातें शेयर की हैं। जो एक चीज़ उन्होंने मेरे लिए सबसे खास की, वो थी मुझे अंजलि से शादी करने देना। पिछले 24 सालों में मेरे दोस्तों का योगदान और समर्थन भी अद्भुत रहा। वो मेरे साथ हर वक्त थे, जब मैं दबाव में था। वो मेरे साथ रात को 3 बजे भी थे, जब-जब मुझे चोट लगी। मेरा साथ देने के लिए धन्यवाद।
मेरा करियर शुरू हुआ जब मैं 11 साल का था। मैं इस बार स्टैंड्स पर आचरेकर सर (पहले कोच) को देखकर बहुत खुश हुआ। मैं उनके साथ स्कूटर पर बैठकर दिन में दो-दो मैच खेला करता था। वह सुनिश्चित करते थे कि मैं हर मैच खेलूं। वो कभी मुझे यह नहीं कहते थे कि तुम अच्छा खेले, क्योंकि वो नहीं चाहते थे कि मैं हवा में उड़ने लगूं। सर अब आप ऐसा कर सकते हैं, क्योंकि अब मैं नहीं खेलने वाला।
मैंने अपने करियर की शुरुआत यहीं मुंबई से की थी। मुझे याद है न्यूजीलैंड से सुबह 4 बजे लौटकर अगले दिन यहां रणजी मैच खेलना कैसा अनुभव था। बीसीसीआई भी मेरे करियर के शुरुआत से गजब की समर्थक रही और मैं अपने चयनकर्ताओं को भी धन्यवाद देना चाहता हूं। आप लोगों ने हमेशा सुनिश्चित किया कि मेरा पूरा ख्याल रखा जाए।
सभी सीनियर क्रिकेटरों को धन्यवाद जो मेरे साथ खेले। सामने स्क्रीन पर आप राहुल, वीवीएस और सौरव को देख सकते हैं, अनिल (कुंबले) यहां नहीं हैं अभी। सभी कोचों को भी धन्यवाद। मुझे हमेशा याद रहेगा वो पल जब इस मैच के शुरू होने से पहले एमएस धोनी ने मुझे 200वें टेस्ट की टोपी भेंट की।
हमें गर्व होना चाहिए कि हम भारत के लिए खेल रहे हैं। मैं चाहूंगा कि आप सम्मान के साथ देश को गौरवान्वित करते रहें। मुझे पूरा भरोसा है कि आप देश की सेवा सही भावना से हमेशा करते रहेंगे। मैं अपने फर्ज से चूक जाऊंगा, अगर मैंने अपने डॉक्टर्स को धन्यवाद नहीं किया। उन्होंने मुझे हमेशा फिट रखने की कोशिश की। मैंने बहुत चोटें खाईं, लेकिन किसी भी समय वो मेरे लिए हाजिर रहे।
मैं अपने चहेते दोस्त स्वर्गीय मार्क मैस्करैन्हस को धन्यवाद कहना चाहता हूं। मैं उन्हें बहुत मिस करता हूं। मैं अपने मौजूदा मैनेजमेंट ग्रुप को भी शुक्रिया कहूंगा, जिन्होंने मार्क के काम को जारी रखा और मैं अपने दोस्त व मौजूदा मैनेजर विनोद नायुडू को भी धन्यवाद कहना चाहता हूं जो पिछले 14 सालों से लगातार मेरे साथ हैं।
मैं मीडिया को धन्यवाद कहना चाहता हूं, जिन्होंने मुझे मेरे स्कूल के दिनों से अब तक कवर किया। उन्होंने मुझे बहुत समर्थन दिया और आज भी कर रहे हैं। सभी फोटोग्राफर्स को धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने मेरे हर खास पल को कवर किया।
मुझे पता है मेरा भाषण कुछ ज्यादा लंबा हो गया है। मैं उन सभी लोगों को शुक्रिया कहना चाहता हूं जो दुनिया के हर कोने से आते हैं। मैं अपने दिल से सभी फैंस को धन्यवाद कहना चाहता हूं। एक चीज जो मेरी आखिरी सांसों तक मेरे कान में गूंजती रहेगी वो है ‘सचिन, सचिन’!