ऐसा क्या हुआ जब रात ढाई बजे 40 रुपए लेकर गंगा किनारे बेठे थे खान सर, उसके बाद खुल गया उनकी किस्मत का ताला, खुद उन्होंने बताया राज।

ऐसा क्या हुआ जब रात ढाई बजे 40 रुपए लेकर गंगा किनारे बेठे थे खान सर, उसके बाद खुल गया उनकी किस्मत का ताला, खुद उन्होंने बताया राज।

आप तो जानते ही होंगे कि पटना के खान सर अपनी टीचिंग स्टाइल के लिए मशहूर है। आज के समय में वे लोगों के बीच काफी मशहूर है। लेकिन एक समय ऐसा था, जब कोचिंग चलाने के लिए उन्हें तमाम परेशानियां झेलनी पडी थी। वो गंगा किनारे रात ढाई बजे तक टेंशन में बेठे रहे थे।

उन्होंने एक यूट्यूब चैनल पर बताया कि कैसे उनका बचपन काफी मुश्किलों भरा रहा और बाद में वे किस तरह से टीचिंग की दुनिया में छा गए। अब उनका ये वीडियो वायरल हो गया है। यूट्यूब पर खान सर के इस वीडियो को एक करोड से अधिक व्यू मिल चूके है।

कई सारे यूजर्स ने इस पर अपनी अपनी प्रतिक्रिया दी है। एक यूजर ने कहा- खान सर की क्रांति को कोई चैलेंज नहीं रोक पाया। दूसरे यूजर ने लिखा-  खान सर पर बायोपिक बनना चाहिए। एक अन्य यूजर ने कहा- संघर्ष का नाम ही जीवन है, अगर सफलता प्राप्त करनी है तो संघर्ष करना ही होगा।

खान सर बताते है कि वे एक ज्वाइंट फैमिली में रहते थे। बचपन में वे काफी ज्यादा शरारती थे। शैतानियों की वजह से उनकी मां परेशान रहती थी। शुरुआत के दिनों में वे गुल्ली-दंडा खेला करते थे। आर्थिक स्थिति अच्छी ना होने के कारण बचपन में हर चीज उन्हें लिमिट में मिलती थी।

 

जब फौज में जाने का सपना टूटा था

खान सर कहते है कि पिताजी अलग-अलग काम करते रहे। वे कभी स्थिर नहीं रह सके। इसके चलते उनके परिवार में काफी परेशानी रही। जब उन्होंने आठवीं पास की तो उनको सेना में जाने का जुनून चढआ। उन्होंने नौंवी में सैनिक स्कूल का एग्जाम दिया लेकिन सफल नहीं हो पाए।

इसके बाद खान सर ने एनडीए का एग्जाम दिया. लेकिन मेडिकल में अनफिट हो गए। इस घटना के बाद मानों उनके सारे अरमान धराशाई हो गए, क्योंकि बचपन से ही वो सेना में जाना चाहते थे। लेकिन मेडिकल में उनका हाथ थोडा सा टेढा निकल गया था।

 

फिर हुए टीचिंग लाइन में एंट्री

बता दें कि खान सर पर एक तरफ फौज में नहीं जाने का गम था तो दूसरी तरफ खराब आर्थिक स्थिति का बोझ था। किसी तरह उन्होंने बीएससी पूरी की। उनकी प्रॉब्लम में उनके तीन दोस्तों सोनू, हेमंत और पवन ने काफी साथ दिया।

इसके लिए खान सर तीनों का आज भी एहसान मानते हैं। वो अपनी पॉकेट मनी से पैसे देकर खान सर की मदद करते थे। इसी बीच हेमंत ने खान सर को बच्चों को पढ़ाने का आइडिया दिया।

इसके बाद खान सर ने एक बच्चे को होम ट्यूशन दिया और वो स्कूल में टॉप कर गया। उसके पैरेंट्स सर से काफी खुश हुए। फिर उन्होंने दूसरे की कोचिंग में पढ़ाना शुरू किया, तब केवल 6 स्टूडेंट थे। धीरे-धीरे वो अपनी टीचिंग के बलबूते काफी फेमस हो गए।

 

बाद में कुछ पार्टनर्स की मदद से कोचिंग सेंटर खोला। खान सर कहते हैं कि 6 महीने में ही मुझे आभास हो गया कि वो लोग मेरा कोचिंग सेंटर हड़प लेना चाहते थे। बकौल खान सर उन लोगों ने मेरा ये हाल कर दिया था कि मेरी जेब में बस 40 रुपये बचे थे, जबकि घर जाने का किराया 90 रुपये था।

इसी टेंशन में हताश-निराश होकर वो गंगा किनारे जाकर बैठ गए। जब घर लौटे तो रात के रात ढाई बज गए थे। फिर उन्होंने नए सिरे से शुरुआत करने की ठानी और फिर से अपनी एक कोचिंग खोली। पुराने स्टूडेंट्स से मदद ली और सेटअप तैयार किया।

navneet